अरविंद ओझा डेजर्ट फेलोशिप

फैलोशिप चयन प्रक्रिया का अंतिम चरण
हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम अरविंद ओझा डेजर्ट फेलोशिप 2022 के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं। आवेदन प्रपत्र और वर्चुअल साक्षात्कार के आधार पर, पहले दौर के निर्णायक मण्डल ने चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण के लिए उम्मीदवारों का चयन किया है, जो कि बज्जू में आयोजित होने वाले ‘मरु शिविर’ में शामिल होंगे।
“मरुभूमि मरी हुई भूमि नहीं है। बहुत गहरा पानी लोगों को भी गहरा बनाता है।
मरुभूमि में प्रेम है, रंग हैं, जीवन है, जीवट के साथ।
रेत के समंदर में असीम सुनहरी संभावनाएं हैं। जरूरत है नौजवानों की जो अपनी जमीन, अपना देस छोड़ किन्हीं झूठे सपनों के पीछे भागने की बजाय अपनी धरा में बदलाव रचें।”

अरविंद ओझा एक प्रयोगवादी थे जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के लिए बच्चों के साथ काम करने, संगठन खड़ा करने एवं लोगों और संगठनों को एक साथ रखने में अपने जीवन को समर्पित कर दिया। वो युवाओं के साथ संवाद और सहयोग के लिए हमेशा आगे रहते थे। इस पूरी प्रक्रिया में शायद कुछ ऐसा जुनून था जो उन्हें सामाजिक क्षेत्र में 40 वर्षों से अधिक समय तक समुदाय के साथ नवाचार करते रहने के लिए प्रेरित करता रहा।

वह एक कलाकार, कहानीकार और एक सामाजिक परिवर्तनकर्ता थे। रेगिस्तान पर ध्यान केंद्रित हुए अपने प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने व्यापक रूप से लिखा। गद्य और कविता उनके कहानी कहने के रूप थे। अपने समय और कहानियों को संजोने के लिए उन्होने कैमरे का भी इस्तेमाल किया।

बाद के वर्षों में, उन्होंने दूरदराज के स्थानों में थार रेगिस्तान के समुदायों के साथ काम करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया। उनके नवाचार और मॉडल आज संस्थानों के रूप में विकसित हुए हैं और उन लोगों में दिखाई देते हैं जो अपने मूल्यों और कार्यों में लंबे समय तक खड़े रहते हैं।

अरविंद ओझा रेगिस्तान में चुनौतियों का सामना करते हुए उनका समाधान ढूँढते हुए एक बेहतर कल के लिए सृजनकर्ता और स्वप्नदर्शी बने रहे। उन्होंने रचनात्मक परिवर्तन के कई तरीकों के साथ शून्यता की प्रत्येक चुप्पी का जवाब दिया। सभी पर स्नेह लुटाते और विश्वास करते हुए वह अपने साथ के लोगों को प्रेरित करते रहे।

यह फेलोशिप उनके मूल्यों, विचारों, प्रयोगों और कार्यों का उत्सव है। यह उनके काम को आगे बढ़ाने और उन सामूहिकों का निर्माण जारी रखने का एक प्रयत्न है, जिनके लिए वो जीवन भर प्रयास करते रहे।

हमारा सपना

रेगिस्तान के साथ एक विशेष लगाव रखने वाले अपने अंदर संभावनाओं को समेटे युवाओं को क्षेत्रीय उत्कृष्टता और सामाजिक नेतृत्व की ओर बढ़ावा देना, और अंततः बदलावकर्ताओं के एक प्रतिबद्ध नेटवर्क को  विकसित करना। हमें उम्मीद है कि बदलावकर्ताओं का यह नेटवर्क ग्लोबल डेजर्ट पार्टनरशिप के रूप में विकसित होगा, जो विचारकों, नवाचारकर्ताओं, उद्यमियों, बदलावकर्ताओं, कहानीकारों और खोजकर्ताओं के एक व्यापक समूह के साथ जुड़ जाएगा।

अवलोकन

रेगिस्तान एक ऐसा जैव-क्षेत्र हैं जो नवाचार, अनुकूलता और विश्वास के रूप जीवंत हैं। अरविन्द ओझा डेजर्ट फेलोशिप इन्हीं आधारभूत मूल्यों को आगे बढ़ाती है जो इस कार्यक्रम के दृष्टिकोण और प्रारूप की आत्मा में शामिल हैं।

यह फेलोशिप कार्यक्रम एक सपने को जीने का अवसर होगा, जिसमें विशेषज्ञों के मार्गदर्शन के साथ रेगिस्तान को आत्मसात करने, ज्ञान और संसाधन सहायता प्राप्त करने, और सबसे महत्वपूर्ण यह कि गलती करके उससे सीखने की प्रक्रिया को जगह दी गई है। इस फेलोशिप को रेगिस्तानी समुदाय के साथ रहने और काम करने का एक साल का अनूठा अनुभव माना जा सकता है। मुख्य रूप से ‘बहुलता’ के विचार पर आधारित यह फेलोशिप सामूहिक खोज, विचारों के जुड़ाव और पहल के अवसरों को सक्षम करेगी।

सहभागी इस रेगिस्तानी जैव क्षेत्र के जमीन, जीवन, जीवनयापन को समझेंगे जिसमें और एक-दूसरे के साथ जटिल सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक संबंधों को समझते हुए अपने माध्यम और क्षेत्र में उनका समाधान ढूँढने के लिए अपनी अनूठी पहल के ढांचे को तैयार करना शामिल है।

 यह फेलोशिप कार्यक्रम मार्गदर्शकों के सहयोग से सहभागियों की अपनी पहल के लिए अपनी खुद की संरचना तैयार करने पर केन्द्रित है।

इस फेलोशिप के दौरान सहभागियों को जिन प्रमुख विषयों से अवगत कराया जाएगा उनमें पशुचारण, वर्षा आधारित कृषि, बुनाई,रंगाई और हस्तशिल्प, शिक्षा, पर्यावरणीय पहल, जलवायु परिवर्तन आदि शामिल है। सहभागियों की अपनी पहल के लिए विभिन्न माध्यम होंगे, जिसे मुख्य तौर पर दो अनुभागों में विभाजित किया गया है  –

1) संस्था निर्माण 

2) किस्सागोई (कथा कथ्य)

इन दोनों अनुभागों के विभिन्न पहलुओं में समुदाय के साथ जुड़ाव, हितधारकों के साथ संवाद, कार्यक्रम में अपनी पहल की संरचना को तैयार करना, लिखना, पढ़ना, योजना बनाना और समीक्षा करना शामिल होगा।

2022 के लिए फेलोशिप के अनुभाग

संस्था निर्माण

छोटे लेकिन मजबूत समाधान

फेलोशिप का एक भाग ‘संस्था निर्माण’ है, इस फेलोशिप के मूल में भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं की तलाश करना है जो जमीनी स्तर की चुनौतियों का सामना करने से हिचकिचाते नहीं हैं, भविष्य में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न समस्यों के निपटारे के लिए प्रयास करते हैं और ऐसे समाधान पेश करते हैं जो पर्यावरण हितैषी आजीविका को सक्षम बनाते हैं।

दीर्घकालिक सतत-पोषणीयता के चालक के रूप में सूक्ष्म उद्यमों की क्षमता और भावना को उजागर करते हुए, फेलोशिप ऐसे सहभागियों की तलाश में है जो जमीनी स्तर पर चुनौतियों को आत्मसात करने के इच्छुक हैं और समुदाय को प्रभावित करने वाली समस्याओं को पहचानते हुए उनके निपटारे के लिए ऐसे व्यावहारिक समाधान को लेकर आते हैं जो एक पर्यावरण हितैषी, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सकारात्मक प्रभाव लाने में सक्षम है।

चयनित सहभागी जिन समस्याओं को हल करना चाहते हैं उसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर मार्गदर्शकों और समुदायों के साथ काम करेंगे और एक वर्ष की अवधि में उस चुनौती को एक सूक्ष्म उद्यम के माध्यम से समाधान में बदलेंगे। उन्हें एक स्थायी और योग्य सूक्ष्म उद्यम को विकसित करने और हमारे पहले से चल रहे छोटे उद्यमों के नेटवर्क का हिस्सा बनने में मार्गदर्शकों और विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा पूरा सहयोग किया जाएगा।

किस्सागोई (कथा कथ्य)

मानव विकास की विसंगति

जटिलताओं की व्याख्या और संप्रेषण का सबसे प्रभावी तरीका कहानी कहना है। रेगिस्तान कहानियों से भरे हुए हैं। कहानियाँ जो लोगों और संभावनाओं से जुड़ी हुई हैं, कहानियाँ जो जल और जमीन, संघर्ष और अनुकूलता, संगीत और मौन, पेड़ों से जुड़ी हुई हैं, पहले और बाद, विकास और उससे आगे की कहानियां। ये सभी कहानियाँ, उन अन्य कहानीकारों द्वारा बताए जाने योग्य हैं जिनका जुनून किन्हीं सीमाओं में नहीं बंधता।

ऐसे कथाकार जो कला के विभिन्न रूपों और कहानियों को साधना चाहते हैं, इस वर्ष फेलोशिप कार्यक्रम के दो अनुभागों में से एक ‘किस्सागोई’ के माध्यम से हमारे साथ जुड़ सकते हैं। हम ऐसे कथाकारों की तलाश कर रहे हैं जो किसी भी कला के माध्यम से रेगिस्तान और मानवीय परिस्थितियों को देखने-समझने की इच्छा रखते हैं और कहानी कहने के लिए अपने अनूठे माध्यम का उपयोग करना चाहते हैं। सहभागी द्वारा उपयोग किया जाने वाला माध्यम सिनेमा, लेखन, संगीत या पाठक या दर्शक की कल्पना या ध्यान आकर्षित करने वाला कोई अन्य माध्यम हो सकता है। सहभागी विषय, विचार और रचना को परिष्कृत करने के लिए मार्गदर्शकों के एक समूह के साथ मिलकर काम करेगा, जिससे उसके द्वारा पूरे एक साल के काम को तर्कसंगत माना जा सके।

फेलोशिप कैसे काम करेगी?

सहभागी रेगिस्तान के चयनित क्षेत्र के किसी एक गांव में काम करेंगे। उन्हें स्थानीय संस्कृति और लोगों से परिचित होने के लिए दो महीने का समय मिलेगा। इस अवधि के दौरान, उन्हें कई विशेषज्ञों और विचारशील नेतृत्वकर्ताओं का मार्गदर्शन मिलेगा। दो महीनों में सहभागी अपने नवाचार की संकल्पना के साथ आएंगे और वे अपने विचार को अपनी फैलोशिप की अवधि में एक संस्था या कथा रचना के रूप में विकसित करेंगे। पूरी अवधि के दौरान विषयगत संवादों, विमर्शों, पैनल चर्चाओं, परामर्श सत्रों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी।

  • सपने देखने वाले, जो पर्यावरण, समुदाय, विविधता और संस्कृति के प्रति जवाबदेह और संवेदनशील हैं।
  • जो रचनात्मक हैं और आलोचनात्मक रूप से सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता रखते हैं।
  • जो जमीनी मुद्दों, अवसरों, चुनौतियों के समाधान हेतु पहल करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
  • जो विचार और कार्य दृष्टिकोण में नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं।
  • जो मूल्यों और सिद्धांतों पर विश्वास रखते हैं।
  • 18-40 की आयु के बीच का कोई भी व्यक्ति
  • आवेदक किसी भी क्षेत्र (ग्रामीण/अर्ध-शहरी/शहरी), राष्ट्रीयता या लिंग का हो सकता है।
  • 12वीं या समकक्ष तक, कम से कम स्कूली शिक्षा पूरी की हो।
  • आवेदक किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा नामांकित किया जाना चाहिए जो उसे अच्छी तरह से जानता हो। (ग्राम सरपंच, संस्था प्रमुख, मार्गदर्शक, शिक्षक, या कोई भी समुदाय का वरिष्ठ एवं अनुभवी व्यक्ति )।
  • आवेदक स्थानीय संस्कृति, विविधता और जीवन शैली को अपनाने में सहज होना चाहिए।
  • आवेदक 1 साल के लिए रेगिस्तान में गांव में काम करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
  • आवेदक एक दूर दृष्टि के विकास और फेलोशिप के दौरान एक कठिन कार्य योजना पर काम करने के लिए तैयार होना चाहिए।
  • पांच उच्च संभावना वाले प्रतिभागियों को एक वर्ष की फेलोशिप।
  • पूरे कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों और विभिन्न क्षेत्रों के नेतृत्वकर्ताओं का मार्गदर्शन
  • सहभागी को 5 लाख रुपये प्रति वर्ष तक अनुदान मिलेगा, जिसकी व्यवस्था और फेलोशिप परियोजना के वित्तपोषण के लिए की गई है।

चयन प्रक्रिया

फेलोशिप के लिए चयन प्रक्रिया दो चरणों में विभाजित होगी। फेलोशिप के लिए प्राप्त सभी आवेदनों को निर्णायक समिति द्वारा पूरी तरह से जाँचा जाएगा जिसमें मार्गदर्शक भी शामिल होंगे। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से आवेदकों के लिए प्राप्त नामांकन और आवेदन प्रपत्र में आवेदक द्वारा प्रश्नों के दिये गए जवाब पर आधारित होगी। परिस्थिति के अनुसार, वर्चुअल साक्षात्कार भी किए जा सकते हैं।

सूचीबद्ध चयनित आवेदकों को राजस्थान में एक स्थान पर 5-7 दिवसीय ‘मरु शिविर’  के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इस चरण में चयनित आवेदकों के लिए शिविर से जुड़े सभी प्रकार के खर्चों को वहन किया जाएगा। शिविर के आखिरी दौर में निर्णायक समिति द्वारा आवेदकों के प्रदर्शन के आधार पर सहभागियों के चयन को अंतिम रूप दिया जाएगा।

Arvind Ojha Desert Fellowship

Arvind Ojha Desert Fellowship, First Cohort – 2023
We’ve been hard at work these past two months reviewing many applications, interviewing candidates, and reaching out to find the most promising changemakers ready to work for and in the community. We are excited to inform you that we have shortlisted the most promising fellows through the boot camp. Names of the fellows for the 1st cohort of the Arvind Ojha Desert Fellowship are as follows –

In Partnership With

Funding Support