चारों तरफ खुशहाली फैली,
पशुपालक अपने पशुओ के साथ होली ।
जब भी वे देखते हैं उन्हें तन-मन से लगता है,
ये रिश्ता मधुर है और प्यार से पूर्ण सदैव खुशियों से भर लगता है ।
पशुओं को देखने से उन्हें समझ में आता है,
कैसे उनके साथ रहकर जीवन को समृद्ध बनाया जाता है ।
पशुओं को पालने से न जाने कैसी सुखद भावनाएं उठती हैं,
जो न सिर्फ उन्हें बल्कि उनके पशुओं को भी भाती हैं।
जब इस रिश्ते की मधुरता और प्रेम बढ़ती है,
तो दूर भटकती हुई जिंदगी भी समृद्ध सी लगती है।
पशुपालक और पशु का यह रिश्ता सदैव बना रहे,
जो सुख, प्रेम और खुशहाली से सजा रहे।
डेजर्ट फेलो – राकेश यादव
यह कविता पशुपालक (व्यक्ति जो पशुओं का पालन-पोषण करता है) और पशुओं के बीच एक प्रेम भावनापूर्ण रिश्ते को वर्णन करती है। यहां पशुपालक को अपने पशुओं के साथ होली मनाते हुए दिखाया गया है जिससे उन्हें बहुत खुशी मिलती है।पशुपालक अपने पशुओं के साथ रहकर जीवन को समृद्ध बनाने के लिए धन्यवाद देता है क्योंकि उनके साथ रहने से उन्हें समझ में आता है कि वे कैसे खुशी और प्यार से भरे जीवन जी सकते हैं। पशुपालक की मधुरता और प्रेम से भरी भावनाएं उन्हें और उनके पशुओं को समृद्धि और सुख-शांति के साथ जीने में मदद करती हैं।इस कविता के माध्यम से, रचयिता ने पशुपालक और पशु के बीच सात्विक संबंध की महत्वपूर्णता और उनके जीवन में आनंद को व्यक्त किया है। पशुपालक के पशुओं से जुड़े होने से उन्हें न केवल खुशियाँ मिलती हैं, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक और भावनात्मक संबंध के आनंद की भी महसूस होती है।इस कविता के माध्यम से, हमें अपने पशुओं के साथ सदैव भलीभांति समझदारी, प्रेम और दया रखने की अनमोल शिक्षा मिलती है। यह भी दिखाया जाता है कि पशुपालक और पशु के बीच का रिश्ता सदैव बना रहना चाहिए जिससे वे समृद्ध और प्रसन्न जीवन जी सकें।