रेत की रंगीन मुठभेड़

इतना संघर्ष है इस रेजिस्तान की रेत में,

जहां धूप का ताप और हवा की लहरें हैं अपरमेय।

यहां हर एक धारी एक कहानी सुनाती है,

रेतीले दरिया के खजाने को खोजती है।

यहां आग का ज्वाला और हरारत का ताप है,

माटी का दिल यहां रोमांच से छलावा खाता है।

सूखी ज़मीन में भी यहां कई अद्भुत रंग हैं,

रेत की चमक और उसका त्याग यहां गांव गांव में संग हैं।

हर बूंद में इतना जीने का उत्साह है,

कि तूफानों की रौशनी से भी यहां उजाला है।

धूप के ताप से संघर्ष करती हर असली मरूस्थली,

अपनी बेबसी को जीवन की झलक में पिरोती है।

यहां जीने की चाह का आधार रेत का है,

जिसकी बावली धुन में हर जीव नगमा गाता है।

यहां मनुष्य का अद्वितीय साहस प्रकट होता है,

रेतीले देश में जहां संघर्ष का नव अर्थ होता है।

रेत के सागर में छलावा का अभिमान होता है,

जो लड़ती है तूफानों से, जो जीतती है युद्ध से।

रेत की रंगीन मुठभेड़ में नयी धाराएँ बनती हैं,

जो आगे बढ़ती हैं, वो इतिहास लिखती हैं।

तपती रेत की भूमि में तन और मन की तपस्या होती है,

संघर्ष के ज्वाला में हर कोई अपना मुकाम पाता है।

इतना संघर्ष है इस रेजिस्तान की रेत में,

जहां धूप का ताप और हवा की लहरें हैं अपार

डेजर्ट फेलो – राकेश यादव 

कविता का अर्थ

यह कविता राजस्थान की रेतीली धरातल में होने वाले संघर्ष को वर्णित करती है। रेत के संघर्षपूर्ण माहौल में धूप का ताप और हवा की लहरें अपार हैं। यहां हर एक धारी अपनी कहानी सुनाती है और रेतीले दरिया के खजाने को खोजती है। यहां आग का ज्वाला और हरारत का ताप है, जहां माटी का दिल रोमांच से छलावा खाता है। सूखी रेत,ज़मीन में भी इस इलाके मे कई अद्भुत रंग हैं और रेत की चमक और त्याग गांव-गांव में मिलते हैं। हर एक बूंद में जीने का उत्साह है और तूफानों की रौशनी से भी यहां उजाला होता है। यहां धूप के ताप से संघर्ष करती हर असली मरूस्थली अपनी बेबसी को जीवन की झलक में पिरोती है। यहां जीने की चाह का आधार रेत है, जिसकी बावली धुन में हर जीव नगमा गाता है। यहां मनुष्य का अद्वितीय साहस प्रकट होता है और रेतीले रेगिस्तान में संघर्ष का नया अर्थ पाया जाता है। रेत के सागर में छलावा का अभिमान है, जो तूफानों से लड़ता है और युद्ध से जीतता है। रेत की रंगीन मुठभेड़ में नई धाराएं बनती हैं, जो आगे बढ़ती हैं और इतिहास लिखती हैं। तपती रेत की भूमि में तन और मन की तपस्या है और संघर्ष के ज्वाला में हर कोई अपना मुकाम प्राप्त कर रहा है। इसलिए, रेजिस्तान की रेत में इतना संघर्ष है जहां धूप का ताप और हवा की लहरें अपार हैं।

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