संघर्षों के बावजूद खड़ा रहा हूँ

संघर्षों के बावजूद खड़ा रहा हूँ,

जीवन की लहरों में डूबा नहीं।

थक जाता हूँ कभी-कभी जीने में,

पर उम्मीदों की बहारों से झूमा नहीं।

चाहे जितना बड़ा हो रोड़ा,

मैं हारने का रास्ता चुनता नहीं।

हर उड़ान में नई चुनौतियाँ हैं,

पर अपने पंखों को झुकता नहीं।

विपदाओं के घेरे में हौसले है,

विपत्तियों के दामन से डरता नहीं।

संघर्षों की आग में जलता हूँ ,

लेकिन मेरी राह बुझता नहीं।

जब तक दिल में जोश है बाकी,

हर सपना टूटता नहीं।

मैं निडरता की पराकाष्ठा पर,

खड़ा हूँ, झुका नहीं, रुका नहीं

संघर्षों के बावजूद खड़ा रहा हूँ,

जीवन की लहरों में डूबा नहीं।

 

डेजर्ट फेलो – राकेश यादव 

इस कविता में कवि अपने जीवन के संघर्षों, मुश्किलों और विपदाओं के बावजूद अपने जीवन के साथी बने रहने का संदेश देने की कहानी बता रहे हैं। वे चाहते हैं कि वे जीवन की लहरों में डूबने से बचें और अपने सपनों को हासिल करने के लिए संघर्ष करते रहें।वे थकते हैं और कभी-कभी जीने में परेशान होते हैं, लेकिन उन्हें उम्मीदों की बहारों के साथ झूमने से कोई रुकावट नहीं आती है। चाहे जितना भी बड़ा रोडा हो, वे हारने का रास्ता नहीं चुनते हैं। वे हर नई उड़ान में नई चुनौतियों का सामना करते हैं, लेकिन अपने पंखों को झुकाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। वे विपदाओं के घेरे में हौसले से खड़े हैं और विपत्तियों के दामन से डरते नहीं हैं। संघर्षों की आग में जलते हैं लेकिन अपनी राह को बुझाने का सोचते नहीं हैं। जब तक उनके दिल में जोश बचा है, वे हर सपना टूटने नहीं देते हैं। कवि अपनी निडरता की पराकाष्ठा पर खड़े हैं, और वे संघर्षों के बावजूद जीवन की लहरों में डूबने से बचे रहते हैं। इसके साथ ही, वे रुकने और झुकने की कोशिश नहीं करते हैं, और जीवन के सभी मुश्किलों का सामना करते हैं। उनका संदेश है कि हमें जीवन में विपदाओं से नहीं, बल्कि उनके साथ खड़े होकर अपने जीवन को सफल बनाना होगा।

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